Vikrant Shekhawat : Feb 02, 2023, 02:36 PM
Rajasthan News: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में 25 सितंबर को कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों के इस्तीफों के मामले में विवाद गहराता जा रहा है। हाईकोर्ट में मामला ले जाने के बाद अब विधानसभा में विशेषाधिकार हनन के मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच वार-पलटवार शुरू हो गया है। अब बीजेपी ने इस्तीफों के लिए दबाव बनाने का आधार बनाकर कांग्रेस सरकार के मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ विधानसभा सचिव को विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। 25 सितंबर को स्पीकर के सामने पेश होकर बाकी विधायकों के इस्तीफे सौंपने वाले छह मंत्री-विधायकों पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया है।उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सीएम के सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव सौंपा है। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ बीजेपी विधायक अशोक लाहोटी ने और मंत्री महेश जोशी के खिलाफ रामलाल शर्मा ने विशेषाधिकार हनन को नोटिस दिया है। बीजेपी विधायक वासुदेव देवनानी ने मंत्री रामलाल जाट, अनिता भदेल ने सरकारी उपमुख्य सचेतक महेन्द्र चौधरी और जोगेश्वर गर्ग ने कांग्रेस विधायक रफीक खान के खिलाफ विशेषाधिकार हनन को नोटिस दिया है।बीजेपी ने इस नोटिस में विधानसभा सचिव के हाईकोर्ट में दिए जवाब को ही आधार बनाया है, जिसमें मर्जी से इस्तीफे नहीं देने का जिक्र है। बीजेपी का तर्क है कि स्पीकर के सामने पेश होने वाले छहों मंत्री विधायकों ने बाकी 75 विधायकों पर इस्तीफे देने के लिए दबाव बनाया जो एक विधायक के विशेषाधिकार का सीधा हनन है।संयम लोढ़ा के विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेंडिंगसंयम लोढ़ा के विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। इस मुद्दे पर अब स्पीकर को फैसला करना है। अब बीजेपी ने मंत्री-विधायकों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव विधानसभा सचिव को सौंपा है, जिसमें इस्तीफा को ही आधार बनाया है।31 जनवरी को विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के खिलाफ सीएम सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा के विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव को लेकर जमकर हंगामा हुआ था। कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के मामले को स्पीकर के पास लंबित होने के बावजूद हाईकोर्ट में ले जाने पर राजेंद्र राठौड़ के खिलाफ संयम लोढ़ा ने विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया था।संयम लोढ़ा का तर्क- स्पीकर के सामने मामला पेंडिंग, कोर्ट जाना विशेषाधिकार हननसंयम लोढ़ा ने तर्क दिया था कि विधायकों के इस्तीफों का मामला विधानसभा स्पीकर के सामने लंबित था। स्पीकर के सामने लंबित होने के बावजूद राजेंद्र राठौड़ इस मामले को हाईकोर्ट में लेकर गए। स्पीकर के सामने मामला लंबित होने के बावजूद इसे कोर्ट में ले जाना स्पीकर की अवमानना के साथ ही विधानसभा सदस्यों के विशेषाधिकारों का हनन है।संयम लोढ़ा ने विधानसभा में 31 जनवरी को प्रस्ताव रखते हुए कहा था कि क्या विधानसभा हाईकोर्ट की सबऑर्डिनेट है? जब विधानसभा हाईकोर्ट में लंबित किसी मामले में दखल नहीं देता तो क्या हाईकोर्ट विधानसभा को डिक्टेट करेगा?राठौड़ ने लिखा- 75 विधायकों पर दबाव डालकर इस्तीफे दिलवाएउपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सीएम के सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा के खिलाफ पेश विशेषाधिकार हनन नोटिस में लिखा है कि 75 विधायकों ने दबाव में इस्तीफे दिए थे। सभी विधायकों ने 30 दिसंबर से 10 जनवरी के बीच स्पीकर के सामने पेश होकर इस्तीफे वापस लेने का लेटर दिया, उसमें कहा कि मर्जी से इस्तीफे नहीं दिए थे।हाईकोर्ट में दिए गए शपथ पत्र में यह साफ लिखा है कि विधायकों के इस्तीफे उनकी मर्जी से नहीं होने के कारण नामंजूर कर दिए गए थे।राठौड़ ने लिखा है- संयम लोढ़ा की दबाव बनाने में मुख्य भूमिका रही। इस पूरी घटना से उन सभी 75 विधायकों की मानहानी होने के साथ उनकिे विधायकों का विशेषाधिकार का हनन हुआ है।