Vikrant Shekhawat : Sep 19, 2024, 12:59 PM
JP Nadda: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू समेत अन्य नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इन नेताओं ने राहुल गांधी के खिलाफ विवादास्पद और हिंसक बयान दिए थे। इस पत्र का जवाब देते हुए बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने पीएम मोदी का बार-बार अपमान किया है, और इस दौरान कांग्रेस के नेताओं ने मोदी को 110 से अधिक गालियाँ दी हैं।खरगे का पत्र: गंभीर मुद्दों पर ध्यानखरगे ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री को जन्मदिन की बधाई देने के साथ ही उन आपत्तिजनक बयानों का उल्लेख किया, जो राहुल गांधी के खिलाफ दिए गए थे। उन्होंने इसे लोकतंत्र और संविधान के लिए खतरनाक बताया। यह पत्र कांग्रेस के लिए एक गंभीर राजनीतिक कदम था, जिसमें उन्होंने सरकार से कार्रवाई की उम्मीद की।नड्डा का जवाब: कांग्रेस पर हमलाजेपी नड्डा ने खरगे के पत्र का जवाब देते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने राहुल गांधी के बयानों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने पीएम मोदी को 'चोर' कहकर अपमानित किया है। नड्डा ने यह भी बताया कि सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को 'मौत का सौदागर' कहा था, जो कि कांग्रेस की राजनीतिक शुचिता को दर्शाता है।बीजेपी का आरोप: बेतुके बयाननड्डा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी पिछले 10 सालों में प्रधानमंत्री मोदी को लगातार अपमानित कर रही है। उन्होंने कई ऐसे अपमानजनक शब्दों का जिक्र किया जो कांग्रेस नेताओं द्वारा इस्तेमाल किए गए, जैसे 'नीच', 'कमीना', और 'जहरीला सांप'। नड्डा ने कहा कि इन बयानों ने कांग्रेस की राजनीतिक नैतिकता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।राजनीतिक संघर्ष की गहराईइस पत्राचार के जरिए यह स्पष्ट होता है कि भारतीय राजनीति में शब्दों का उपयोग किस कदर तीव्र और कटु हो चुका है। नड्डा ने यह भी कहा कि कांग्रेस एक 'कॉपी एंड पेस्ट' पार्टी बन गई है, जो केवल विरोध करने के लिए तैयार है। उनका यह बयान कांग्रेस की रणनीति को चुनौती देता है, जिसमें उन्होंने खुद को अपमानित होने से बचाने की कोशिश की है।निष्कर्षयह पत्राचार न केवल कांग्रेस और बीजेपी के बीच की राजनीतिक खाई को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत करता है कि आगामी चुनावों में दोनों पार्टियों के बीच तीव्र संघर्ष जारी रहेगा। इस प्रकार के आरोप-प्रत्यारोप से स्पष्ट होता है कि राजनीतिक भाषा में शिष्टाचार की कमी हो रही है, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए एक चिंता का विषय है। राजनीतिक दलों को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना होगा, ताकि लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखा जा सके।