Vikrant Shekhawat : Sep 08, 2024, 05:00 PM
Assembly Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव के करीब आते ही राजनीतिक माहौल में गर्माहट बढ़ती जा रही है। राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी रणनीतियाँ तय करनी शुरू कर दी हैं, और इस बार की राजनीति में कुश्ती की दुनिया का भी बड़ा हस्तक्षेप देखने को मिल रहा है। हाल ही में, भारतीय कुश्ती के दिग्गज पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया ने कांग्रेस का दामन थाम लिया, जिसके बाद हरियाणा की राजनीतिक सरगर्मियों में और इजाफा हुआ है।विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया का कांग्रेस में शामिल होना, न केवल राजनीति के रंगमंच पर नए मोड़ लाया है, बल्कि कुश्ती की दुनिया में भी हलचल पैदा की है। इस बदलाव का सबसे तीव्र प्रतिवाद भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह द्वारा सामने आया है। सिंह ने हाल ही में मीडिया के सामने आकर इस बदलाव पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।सिंह ने अपने बयान में कहा, "महाभारत के समय पांडवों ने द्रौपदी को दांव पर लगाया था। देश ने आज तक इस घटना को नहीं भुलाया है। ठीक उसी तरह, हुड्डा परिवार ने हमारे बहन-बेटियों के सम्मान को दांव पर लगाकर राजनीति की है। इस बात को भी आने वाला कल नहीं माफ करेगा।" उनके आरोपों में ये भी शामिल था कि उनके ऊपर लगे आरोपों के पीछे एक साजिश है, जिसमें वह खुद को निर्दोष मानते हैं।सिंह ने आगे कहा कि उनका नुकसान हो गया और कुश्ती के क्षेत्र को भी नुक्सान पहुँचा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह एक जाट और ठाकुर की लड़ाई नहीं है, बल्कि एक परिवार की लड़ाई है। उनके अनुसार, हरियाणा में खेल की राजनीति एक बड़ा मुद्दा बन गई है, और इस मुद्दे ने कुश्ती को भी प्रभावित किया है।कांग्रेस की ओर से विनेश फोगाट को जुलाना से उम्मीदवार बनाने और बजरंग पुनिया को अखिल भारतीय किसान कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की घोषणा की गई है। इस राजनीतिक कदम ने हरियाणा की राजनीति में एक नया मोड़ दिया है और बृजभूषण शरण सिंह के तीखे बयान भी इसी बदलाव के परिणामस्वरूप देखे जा रहे हैं।सिंह ने बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट पर भी हमला बोला, उन्हें कांग्रेस में शामिल होने के लिए आलोचना की। उन्होंने बजरंग पुनिया को "हरियाणा के नायक नहीं, बल्कि खलनायक" करार दिया और कहा कि हुड्डा परिवार ने अपनी पत्नियों को आगे करके राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास किया है।हरियाणा के विधानसभा चुनाव में कुश्ती की इस राजनीति ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनावी माहौल में खेल और राजनीति का मेल कितना गहरा हो सकता है। इस बार हरियाणा के मतदाता यह तय करेंगे कि इस राजनीति का असली नायक कौन है और कौन सी दिशा राज्य के विकास के लिए सही होगी।