जयपुर: सरपंचों के चुनाव के बाद राज्य निर्वाचन आयोग को 381 शिकायतें प्राप्त हुई. जिसमें से 152 शिकायतों में राज्य निर्वाचन आयोग को जिलों से जांच रिपोर्ट मिल गई है. वहीं, 229 शिकायतों में अभी जिलों से रिपोर्ट आना बाकी है.
यहां- यहां से मिली शिकायतें
सबसे ज्यादा भरतपुर, करौली, दौसा, बाड़मेर, जयपुर, हनुमानगढ़ जिले से प्राप्त हुई. सबसे कम प्रतापगढ़, डूंगरपुर जिले से प्राप्त हुई. अजमेर- 5, अलवर- 16, बांसवाड़ा- 6, बाड़मेर- 21, बारां- 8, भरतपुर- 30, भीलवाड़ा- 4, बीकानेर- 15, बूंदी- 8, चित्तौड़गढ़-16, चूरू- 4, दौसा- 21, धौलपुर- 10, डूंगरपुर- 1, हनुमानगढ़-18, जयपुर-20, जैसलमेर- 13, जालौर- 10, झालावाड़-2, झुंझुनूं- 10, जोधपुर- 17, करौली- 22, कोटा- 5, नागौर- 20, पाली- 9, प्रतापगढ़- 1, राजसमंद- 4, सवाईमाधोपुर- 12, सीकर-7, सिरोही- 6, श्रीगंगानगर- 9, टोंक- 12, उदयपुर- 9
राज्य निर्वाचन आयोग को सरपंचों के चुनाव के बाद दो से अधिक संतान, नाम निर्देशन पत्रों में गलतियां, मतदाता सूची में त्रुटियां, एफीडेविट में गलत आंकड़ों को लेकर आयोग को शिकायतें भेजी गई. जिसको आयोग की ओर से जिलों को भेजा गया और रिपोर्ट मांगी गई. जिसमें ज्यादातर शिकायतों को गलत पाया गया.
राज्य निर्वाचन आयोग का कहना है कि ऐसे तो चुनाव आयोग को चुनाव के बाद शिकायतें भेजने को कोई औचित्य नहीं है. अगर किसी को किसी मामले में ऑब्जेक्शन है तो वह कोर्ट में शिकायत दे सकता है. चुनाव के बाद आयोग का रोल खत्म हो जाता है. हालांकि, लोगों की शिकायतों पर आयोग जिलों से रिपोर्ट मंगवाता है ताकि आगे ध्यान रखा जा सके, लेकिन अभी तक मिली रिपोर्ट में सूचना झूठी पाई गई है.