Vikrant Shekhawat : Oct 18, 2024, 08:55 PM
Maharashtra Chunav: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव इस बार आरक्षण के विवादित मुद्दे के साए में हो रहा है, जहां एक तरफ मराठा बनाम ओबीसी और दूसरी ओर आदिवासी बनाम धनगर विवाद सियासी समीकरणों को प्रभावित कर रहे हैं। राजनीतिक दलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती जातीय संतुलन बनाए रखने की है, क्योंकि किसी एक समुदाय के पक्ष में फैसला करने से दूसरे समुदाय की नाराजगी का खतरा है।बीजेपी नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को सत्ता बचाने की चुनौती है, जबकि कांग्रेस नेतृत्व वाला इंडिया गठबंधन सामाजिक समीकरणों का फायदा उठाने की रणनीति अपना रहा है। इस गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में डीएमके फॉर्मूला अपनाकर कामयाबी हासिल की थी और अब विधानसभा में भी इसी रणनीति पर दांव लगा रहा है।महाराष्ट्र में पिछले कुछ वर्षों से आरक्षण की मांग तीव्र हो गई है। मराठा आरक्षण आंदोलन ने राज्यव्यापी रूप ले लिया, और इसने ओबीसी समुदाय को चिंतित कर दिया है। धनगर समुदाय भी आदिवासी दर्जे की मांग पर आंदोलनरत है, जबकि आदिवासी समुदाय इसका विरोध कर रहा है। इससे राज्य की जातीय राजनीति में गहराई से बदलाव हो रहे हैं।जातीय समीकरण के लिहाज से, महाराष्ट्र में मराठा, ओबीसी, दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण समुदाय प्रमुख हैं। मराठा समुदाय राज्य की सबसे बड़ी जातीय समूह है, जिसकी आबादी करीब 30% है। ओबीसी की संख्या 38-40% के बीच है। बीजेपी का अब तक मुख्य ध्यान ओबीसी वोट बैंक पर था, लेकिन मराठा समुदाय को साधने की उसकी कोशिशों ने ओबीसी समर्थन को कमजोर किया है।कांग्रेस ने मराठा-मुस्लिम-दलित-कुनबी समीकरण पर ध्यान केंद्रित किया है। कांग्रेस लंबे समय तक मराठा और मुस्लिम वोटों के सहारे राज्य में सत्ता में रही है, और इस बार भी यही दांव खेल रही है। दूसरी तरफ, बीजेपी हिंदुत्व और ओबीसी एजेंडे पर जोर देकर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है।विधानसभा चुनाव में किस दल का जातीय समीकरण कारगर साबित होता है, यह देखना बाकी है।