News18 : Nov 23, 2019, 12:15 PM
राजस्थान के चूरू जिले की तारानगर तहसील के झाड़सर गांव की 41 वर्षीय गुड्डी ने बेटे की चाहत में 12 बार प्रसव किया ओर दर्द सहन किया। 20 नवंबर को गुड्डी को चूरू के राजकीय मातृ एवं शिशु अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां उसने अब बेटे को जन्म दिया है। हालांकि गुड्डी को अपनी 11 बेटियों के नाम ठीक से याद नहीं है, लेकिन बेटा पैदा होने के बाद गुड्डी भी खुश है। उसने बताया कि गांव के लोग बेटा नहीं होने पर ताना दिया करते थे और उसका पति भी वंश बढ़ाने के लिए बेटा चाहता था।गुड्डी की सबसे बड़ी बेटी 22 साल की है जिसकी शादी भी हो चुकी है, गुड्डी का पति कृष्ण कुमार गांव के ही भट्टे पर चाय की दुकान चलाता है। गुड्डी की तीन बेटियों की शादी हो चुकी है, जिनमें एक की शादी धीरवास और दो की शादी नापासर में हुई है। गुड्डी का नवजात बेटा जन्म के साथ मामा भी बन गया है क्योंकि उसकी बड़ी बहन को भी बेटा हो चुका है।
गुड्डी की तीन बेटियां प्राइवेट स्कूल में पढ़ती हैं ओर बाकी सारी सरकारी स्कूल मे पढ़ने जाती है। दो छोटी बेटियां अभी घर में रहती हैं। भले ही सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए कितनी भी योजनाएं शुरू कर दे, एक ताजा रिसर्च के मुताबिक भारत में 0 से 25 साल की बेटियां सन मेटा प्रिफरेंस का नतीजा हैं। यानि की वे बेटियां जिनका जन्म सिर्फ बेटों की चाहत में होता गया। इस रिसर्च के लिए एसआरएलसी यानि सेक्स रेशियो ऑफ लास्ट चाइल्ड के मानदंड को आधार बनाया गया है। बहरहाल भले ही सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए कितनी भी योजनाएं शुरू कर दे, लेकिन जब तक हमारे समाज मे बेटा पैदा करने की चाह बनी रहेगी तब तक जनसंख्या नियंत्रण के लिए बनायी गयी योजनाएं बेमानी साबित होती रहेगी ।
गुड्डी की तीन बेटियां प्राइवेट स्कूल में पढ़ती हैं ओर बाकी सारी सरकारी स्कूल मे पढ़ने जाती है। दो छोटी बेटियां अभी घर में रहती हैं। भले ही सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए कितनी भी योजनाएं शुरू कर दे, एक ताजा रिसर्च के मुताबिक भारत में 0 से 25 साल की बेटियां सन मेटा प्रिफरेंस का नतीजा हैं। यानि की वे बेटियां जिनका जन्म सिर्फ बेटों की चाहत में होता गया। इस रिसर्च के लिए एसआरएलसी यानि सेक्स रेशियो ऑफ लास्ट चाइल्ड के मानदंड को आधार बनाया गया है। बहरहाल भले ही सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए कितनी भी योजनाएं शुरू कर दे, लेकिन जब तक हमारे समाज मे बेटा पैदा करने की चाह बनी रहेगी तब तक जनसंख्या नियंत्रण के लिए बनायी गयी योजनाएं बेमानी साबित होती रहेगी ।