Vikrant Shekhawat : Oct 30, 2023, 01:24 PM
Rajasthan Election: राजस्थान की सियासत में कांग्रेस इस बार सत्ता परिवर्तन के रिवाज को बदलने की कोशिश में है. सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट आपसी सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक हो गए हैं. कांग्रेस उम्मीदवारों की अब तक की जारी सूची में गहलोत का दबदबा दिख रहा है तो पायलट भी अपने करीबी विधायकों टिकट दिलाने में सफल रहे हैं, लेकिन दोनों ही नेताओं के कई समर्थकों को निराशा भी हाथ लगी है.सचिन पायलट के कई करीबी नेता अब कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम रहे हैं. इसमें सबसे प्रमुख जयपुर की पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल हैं, जिन्होंने शनिवार को बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली. खंडेलवाल ही नहीं इस फेहरिश्त में एक नाम ऐसा भी है, जो कभी पायलट के समर्थन में खून से कांग्रेस हाईकमान को पत्र तक लिख चुके हैं, लेकिन अब उन्हें टिकट नहीं मिल सका तो बीजेपी में एंट्री कर गए. यह नेता पंडित सुरेश मिश्रा हैं, जो पिछले हफ्ते ही बीजेपी में शामिल हुए. यह कांग्रेस और सचिन पायलट दोनों के लिए ही बड़ा झटका माना जा रहा है.पायलट के साथ खुलकर खड़े रहे थे सुरेश मिश्रापंडित सुरेश मिश्रा को सचिन पायलट के करीबी नेताओं में गिना जाता था. सुरेश मिश्रा ब्राह्मण महासभा को राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. पिछले पांच सालों तक गहलोत और पायलट के बीच चली रस्साकशी के दौरान सुरेश मिश्रा खुलकर पायलट के समर्थन में खड़े रहे. 25 सितंबर 2022 को केंद्रीय नेतृत्व के द्वारा जब एक प्रतिनिधि मंडल जयपुर भेजा गया था. तब गहलोत गुट के विधायकों ने विधायक दल की बैठक में हिस्सा लेने के बजाय इस्तीफे का दांव चला था. ऐसा जाहिर तौर पर गहलोत की जगह पायलट को सीएम बनाने से रोकने के लिए किया गया था.इस घटना के बाद पंडित सुरेश मिश्रा ने मल्लिकार्जुन खरगे को खून से पत्र लिखकर 25 सितंबर 2022 की घटना की निंदा करते हुए पार्टी में हुए घमासान पर जल्द एक्शन लेने की मांग की थी. इतना ही नहीं वह पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाने की मांग सार्वजनिक रूप से कई बार कर चुके हैं. उन्हें पायलट के करीबी नेताओं में माना जाता था. सांगानेर विधानसभा सीट से कांग्रेस से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी पंडित सुरेश मिश्रा कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने उनकी जगह पर पुष्पेंद्र भारद्वाज को प्रत्याशी बना दिया.कांग्रेस को हिंदू विरोधी बताने में जुटेकांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के बाद सुरेश मिश्रा पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए और अब वो आक्रमक मूड में हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में सचिन पायलट को कोई पूछ नहीं रहा है. कांग्रेस ने एक युवा नेता का सियासी करियर ही खत्म कर दिया है और पायलट के पास कोई अधिकार भी नहीं है. ऐसे में मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था. साथ ही उन्होंने कहा कि सचिन पायलट के उनके जैसे समर्थकों को किनारे कर दिया गया है. इतना ही नहीं अब सुरेश मिश्रा कांग्रेस को हिंदू विरोधी बताने में जुटे हैं.कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वालों में पायलट समर्थकों में सिर्फ सुरेश मिश्रा का ही नाम नहीं ज्योति खंडेलवाल भी शामिल हैं. कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो पार्टी को अलविदा कहकर बीजेपी का दामन थाम लिया. खंडेलवाल को 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जयपुर सीट से मैदान में उतारा था, लेकिन वह बीजेपी के राम चरण बोहरा से हार गई थीं. फिर वह 2023 में विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थीं और इसके लिए वह जयपुर की हवा महल या किशनपोल विधानसभा सीट से टिकट की मांग कर रही थीं, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया तो बीजेपी में एंट्री कर कर गईं.एक और करीबी ज्योति ने भी छोड़ा साथज्योति खंडेलवाल को भी पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के करीबी नेताओं में गिना जाता है. इसी साल अप्रैल में पायलट ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एक दिन का उपवास किया था तो ज्योति खंडेलवाल भी उनके साथ धरने पर बैठी थीं. इस तरह पायलट के साथ हर कदम पर खड़ी नजर आईं और खुलकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की पैरवी भी कर रही थीं. लेकिन, कांग्रेस ने उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया तो पार्टी को छोड़ने में देर नहीं की.कांग्रेस की ओर से अब तक जारी 3 सूचियां में 95 उम्मीदवारों की घोषणा की जा चुकी है, लेकिन अब तक अधिकतर टिकट सीएम अशोक गहलोत की मंशा के अनुसार मिले हैं. कांग्रेस की तीसरी सूची में 19 उम्मीदवारों में सचिन पायलट के 3 समर्थक विधायकों को भी फिर से टिकट मिला है. इनमें देवली उनियारा से मौजूदा विधायक हरिश्चंद्र मीणा, बांदीकुई से गजराज खटाना और मसूदा विधानसभा से राकेश पारीक के नाम शामिल हैं.कांग्रेस की ओर से जारी उम्मीदवारों की सूची में सचिन पायलट अपने कई समर्थकों को टिकट दिलाने में कामयाब रहे हैं. वेद प्रकाश सोलंकी को छोड़ दिया जाए तो, अब तक मुकेश भाकर, मुरारी लाल मीणा, रामनिवास गावड़िया और इंद्रराज गुर्जर को पार्टी ने फिर से टिकट दिया है. इन विधायकों ने मानेसर होटल में जाने के दौरान सचिन पायलट का साथ दिया था. गहलोत और पायलट ने अपने-अपने समर्थकों को अधिक से अधिक संख्या में टिकट दिलाने के लिए भरसक जोर आजमाइश की है. ऐसे में पायलट के जिन समर्थकों को टिकट नहीं मिल रहा है, वो पार्टी को अलविदा कहने में भी देरी नहीं कर रहे?