Dainik Bhaskar : Oct 14, 2019, 03:18 PM
जयपुर | प्रदेश में होने वाले नगर निकाय चुनावों में अब जनता नहीं, बल्कि पार्षद ही नगर निकाय सभापति, चेयरमेन और महापौर को चुनेंगे यानी निकाय प्रमुख का चुनाव अब अप्रत्यक्ष रूप से होगा। सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई केबिनेट मीटिंग में यह अहम फैसला लिया गया। आपको बता दें कि नवंबर में प्रदेश में नगर निकाय व निगमों के चुनाव होने है।स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने इसकी निर्णय की पुष्टि की। धारीवाल ने प्रेस वार्ता में बताया कि केबिनेट बोर्ड ने फैसला किन कारणों से बदला है। उसके कई बड़े कारण है। इनमें पहला यह कि आज देश में असुरक्षा, जनता में भय आक्रोश व हिंसा का माहौल देखने को मिलता है।भाजपा जनता को जातिवाद में बांटने की कोशिश कर रही है। एक वर्ग को भी अलग करने की कोशिश की गई। हम चाहते है जनता में प्रेम बना रहे। भाईचारा बना रहे। प्रत्यक्ष तरीके से चुनाव हुआ तो हिंसक घटनाएं हो सकती है। इसे रोकने के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव करने का निर्णय लिया।धारीवाल ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि प्रत्यक्ष चुनाव में विपक्ष के द्वारा सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की जाती है। लेकिन हम राजस्थान में ऐसा नहीं होने देंगे। ऐसे में अप्रत्यक्ष तरीके से नगर निकाय चुनाव करने का निर्णय लिया है। आपको बता दें कि दिसंबर-2019 में गहलोत सरकार ने राजस्थान में सत्ता की कमान संभालने के बाद मेयर का चुनाव अप्रत्यक्ष की बजाए प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली से कराए जाने का निर्णय लिया था। जिसमें पार्षदों के बजाए मेयर प्रत्यक्ष निर्वाचन के जरिए जनता द्वारा चुनने का निर्णय लिया गया था। लेकिन नगर निकाय चुनाव आते ही गहलोत केबिनेट ने यू टर्न लेकर अपने ही फैसले को बदल दिया।कांग्रेस ने पिछली सरकार के समय यह व्यवस्था लागू की थी। इसके बाद जयपुर में कांग्रेसी की पहली निर्वाचित मेयर ज्योति खण्डेलवाल बनी थी। हालांकि तब जयपुर नगर निगम में बोर्ड बीजेपी पार्षदों का बना था। तब कई बार मेयर व बोर्ड को लेकर संघर्ष की स्थिति दिखी थी। कई फैसले नहीं हो सके थे। कई बार बोर्ड में शामिल पार्षदों व महापौर के बीच टकराव की नौबत आई। वहीं, कांग्रेस सरकार के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने बताया कि धारा 370 हटाने और केंद्र सरकार के कई अहम निर्णयों के बाद देश और प्रदेश में नरेंद्र मोदी की लहर चल रही है। हाल ही में लोकसभा चुनावों में भारी जीत से कांग्रेस सरकार घबरा गई। सरकार का यह फैसला बौखलाहट और घबराहट के अलावा हार के डर को दर्शाता है। सरकार चाहे कोई भी निर्णय कर लें, भाजपा आगामी निकाय चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने वाली है।